"इस आँचल को कहाँ मयस्सर चाँद सितारे फूल और जुगनूमिट्टी से ही ख्वाब गढ़ें हैं, और दिल को बहलाया है"बिना बहलाए ज़िंदगी जी भी तो नहीं जा सकती।
"इस आँचल को कहाँ मयस्सर चाँद सितारे फूल और जुगनू
ReplyDeleteमिट्टी से ही ख्वाब गढ़ें हैं, और दिल को बहलाया है"
बिना बहलाए ज़िंदगी जी भी तो नहीं जा सकती।