Wednesday 14 August 2013



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आज़ादी की कीमत उन चिड़ियों से पूछो 
जिनके पंखों को कतरा है, आ'म रिवाज़ों ने 
आज़ादी की कीमत, उन लफ़्ज़ों से पूछो 
जो ज़ब्तशुदा साबित हैं सब आवाज़ों में


आज़ादी की क़ीमत, उन ज़हनों से पूछो 
जिनको कुचला मसला है, महज़ गुलामी को 
आज़ादी की क़ीमत, उस धड़कन से पूछो 
जिसको ज़िंदा छोड़ा है, सिर्फ सलामी को 


आज़ादी की क़ीमत उन हाथों से पूछो 
जिनको मोहलत नहीं मिली है अपने कारों की 
आज़ादी की क़ीमत उन आंखों से पूछो 
जिनको हाथ नहीं आई है, रोशनी तारों की


जो ज़िंदा होकर भी भेड़ों सी हांकी जाती है 
आज़ादी भी रस्सी बांध के जिनको दी जाती है 
जिस्मों से तो बहुत बड़ी जो मन से बच्ची हैं 
'अब्बू खां की बकरी' भी उन से अच्छी है...